INTRODUCTION
अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों ने हमेशा वैश्विक राजनीति में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए **50% टैरिफ** ने इन संबंधों में गहरा तनाव पैदा कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत की नीतियों से असंतोष जता रहे हैं और इसके पीछे वह कई बार दक्षिण कोरिया और जापान का उदाहरण पेश कर चुके हैं।
यह विवाद केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक रणनीति, ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक समीकरणों से भी जुड़ा हुआ है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ट्रंप भारत से क्यों नाराज़ हैं, कोरिया-जापान का उदाहरण क्यों दिया जा रहा है और भारत इस तनाव से कैसे निपट रहा है।
ट्रंप की नाराज़गी के मुख्य कारण
1. रूसी तेल पर भारत की निर्भरता
अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद को कम करे। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि ऊर्जा सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत की इस नीति ने ट्रंप प्रशासन को नाराज़ कर दिया।
2. “एकतरफा व्यापार” की शिकायत
ट्रंप का मानना है कि भारत के साथ व्यापार दशकों से असंतुलित रहा है। भारत अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामान को आसानी से बाजार उपलब्ध कराता है।
3. वार्ता की विफलता
2025 में हुई पाँच दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस समझौता नहीं हुआ। अमेरिका ने बार-बार “Reciprocal Trade” (परस्पर समान व्यापार शर्तें) की मांग रखी, लेकिन भारत अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए झुकने को तैयार नहीं हुआ।
कोरिया-जापान उदाहरण क्यों दे रहे ट्रंप?
- ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण कोरिया और जापान को चेतावनी दी थी कि अगर वे व्यापार अवरोध नहीं हटाते तो उन पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।
- इस उदाहरण का हवाला देकर ट्रंप भारत को यह संदेश देना चाहते हैं कि अमेरिका अपने किसी भी सहयोगी से “समान व्यवहार” की उम्मीद करता है।
- कोरिया और जापान अमेरिका के घनिष्ठ साझेदार हैं, और यदि उनके साथ इस तरह का कड़ा रुख अपनाया जा सकता है तो भारत को भी इससे अलग नहीं माना जाएगा।
भारत क्यों नहीं झुक रहा?
1. ऊर्जा सुरक्षा की मजबूरी.
भारत अपनी 80% से ज्यादा ऊर्जा आयात पर निर्भर है। रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत अपनी अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को राहत देता है। इस कारण अमेरिका की मांग मानना भारत के लिए संभव नहीं।
2. घरेलू उद्योग की सुरक्षा
अगर भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार खोल देता है, तो उसके छोटे और मध्यम उद्योगों को भारी नुकसान हो सकता है। वस्त्र, आभूषण और कृषि जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
3. राजनीतिक दबाव
भारत में चुनावी माहौल और जनता की भावनाएं भी इस फैसले को प्रभावित करती हैं। कोई भी सरकार यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह अमेरिकी दबाव में झुक रही है।
भारत की प्रतिक्रिया
निर्यात का विविधीकरण**: भारत अब अपने निर्यात को 40 से ज्यादा देशों में फैलाने की कोशिश कर रहा है, ताकि अमेरिका पर निर्भरता कम हो।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA)**: भारत यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ नए समझौते करने में सक्रिय है।
वित्तीय राहत योजनाएँ**: सरकार ने उन उद्योगों को राहत देने की योजना बनाई है, जो अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हो रहे हैं।
राजनयिक पहल**: भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि ट्रंप के कदम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी।
वैश्विक असर
1. Quad गठबंधन पर दबाव**
अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का Quad समूह इंडो-पैसिफिक में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अहम है। लेकिन अमेरिका-भारत विवाद से इस गठबंधन की ताकत कमजोर हो सकती है।
2. वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता**
50% टैरिफ के कारण कई उत्पादों की कीमतों में उछाल आ गया है। खासकर आभूषण और वस्त्र क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है।
3. अन्य देशों के लिए अवसर**
चीन और वियतनाम जैसे देश इस विवाद का फायदा उठाकर अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं।
संभावित भविष्य
संवाद की वापसी सितंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित मुलाकात से वार्ता फिर से शुरू हो सकती है।
समझौते की संभावना**: हो सकता है कि दोनों देश कुछ क्षेत्रों में रियायतें देकर संतुलन बनाने की कोशिश करें।
दीर्घकालिक प्रभाव अगर विवाद लंबा खिंचता है तो यह भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर स्थायी असर डाल सकता है
भारत और अमेरिका दोनों ही एक-दूसरे के लिए अनिवार्य साझेदार हैं। एक ओर अमेरिका भारत को एशिया में चीन का संतुलन मानता है, वहीं भारत के लिए अमेरिका तकनीकी, निवेश और सुरक्षा का प्रमुख स्रोत है।
हालांकि, मौजूदा विवाद यह दिखाता है कि राष्ट्रीय हित हमेशा सहयोग से ऊपर रहते हैं। ट्रंप की नाराज़गी और भारत की अड़चनों के बीच यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में दोनों देशों को आपसी विश्वास और लचीलापन दिखाना होगा।
1 thought on “भारत से फ्रस्ट्रेट क्यों हैं ट्रंप कोरिया-जापान का उदाहरण क्यों दे रहे ? इंडिया टैरिफ पर डिमांड मान रहा, बातचीत की पहल.”